Saturday, May 30, 2009

पानी वर्सेज शराब- दास्तान उस शॅक्स की दुनिया जिसे शराबी कहती हैं

एक शराबी की दास्तान,दिन भर शराब मे डूबा रहने वाला वो शॅक्स ऐसी सोच रखता है की देश और उसके विकास की बात करने वाले बड़े बड़े लोगों की ज़ुबाँ भी बंद हो जाए. बात सच हो या झूठ पर भावनाओं को देखिए,कही ना कही हमसे कुछ कह रहा है.

एक दिन मुझे एक शराबी मिल गया,
बात उसकी सुन कर मैं पूरा हिल गया,
पर उस दिन मुझे कतई गुस्सा नही आया था,
क्योंकि उसकी ज़ज्बात मे ग़ज़ब का दर्द पाया था.

देश की बात करने लगा,बड़ा ही समझदार था,
और इंसानी रिश्तो से भी उसे बड़ा प्यार था,
उसने शराब पीने का कारण भी बताया था,
सचमुच अद्भुत फंडा अपनाया था.

कहा शराब पीकर पानी बचाऊँगा,
और प्यासे को पानी पिलाऊँगा,
कोई मेरा दर्द समझ नही पाया है,
इसलिए मैने ये रास्ता बनाया है.

शराब से ज़्यादा पानी की कीमत है,
और मरने के लिए पानी की क्या ज़रूरत है,
मैने ये भी देखा है,
कुछ लोग तो बस शराब पीने के लिए जीते है,
मगर सोचो तो पानी जीने के लिए पीते है.
कहो इसका ज़िम्मेदार कौन है,
पानी के नाम पर सरकार भी मौन है,

इसलिए शराब पीता हूँ,दो बूँद पानी बच जाएगी,
और किसी प्यासे के लिए अमृत बन जाएगी.
वैसे भी मैं इस स्वार्थी, दुनिया से तंग हूँ,
आधुनिक, मानवीय रिश्तों से भी दंग हूँ,
सभी लोग मतलब के यार है,
और गला काटने को तैयार है.

पत्नी,बेटे और भाई,
सभी ने की बेवफ़ाई,
कल जो अपने थे,
वो भी मुँह मोड़ लिए,
मतलब से जुड़े थे,मतलब से छोड़ दिए.

इसलिए मैं भी ये दुनिया छोड़ दूँगा,
शराब पीकर दम तोड़ दूँगा,
पर पानी को हाथ नही लगाऊँगा,
उनके लिए बचाऊँगा,
जो मेरी तरह नही बेकार है,
और जिन्हे जिंदगी से प्यार है,

कुछ अच्छा करने का मेरा अपना तरीका,
थोड़ा अलग भी है और थोड़ा फीका,
क्योंकि मैं गुमनामी की मौत मार जाऊँगा,
पर अपना लक्ष्य किसी को नही बताऊँगा,
भारत सरकार मुझे भले ही न पहचाने,
पर मैं शहीद कहलाऊंगा,
और हिन्दुस्तान मे पानी की क्रांति को लक्ष्य तक पहुँचाऊँगा.

Friday, May 22, 2009

संजय दत्त डाइरेक्ट प्रधानमंत्री जी से लड़ेंगें. ..

बहुत दिन बीत गये आपको हंसाएँ, तो सोचा आओ फिर से हम आपको अपनी मुस्कुराती हुई काल्पनिक दुनिया की शैर कराते हैं, देश मे परिवर्तन के कुछ हालत दिखाई पड़ रहे थे,बस बैठ गया सोचने, देखिएगा, मैं श्योर हूँ,आप अपनी हँसी रोक नही पाएँगे..

 

मैने नही आप ने भी देखा इस बार,

राजनीति से फिल्मी सितारों का प्यार,

नोट के चपेट के लपेट मे सरपेट गये,इतने की,

संसद मे जाने को हो गये तैयार.

 

इसी चाहत मे जनाब ने बड़े-बड़े धक्के खाए,

मत पूछिए जनता ने कौन कौन से दिन दिखलाए,

कुछ खड़े थे,कुछ स्टेपनी बने, साथ मे घूमने आए थे,

भाषण तो आता नही था,डायलॉग ही चिपकाए थे,

 

मेरे देशवासियों,वोट देके देखो,फिर सुबह होगी,

नही दिखेगा, कही कोई भी,भूखा,नंगा और रोगी,

मौत के सौदाग़र के साथ खूनी खेल मे, बिन मौत मरेगा.

जो इस बेनाम बादशाह के साथ टकराने की, जुर्रत करेगा.

 

जीने नही दूँगा,दुश्मनो को जिंदा जला कर राख कर दूँगा,

चाँद तक दौड़ा कर मिसाइल से खाक कर दूँगा,

उनके नापाक इरादों के आगे, दीवार सा ठन जाऊँगा,

दिलीप कुमार से सन्नी देओल तक बन जाऊँगा.

 

ऐसे ही उटपटांग बातों से जनता को फुसला रहे थे,

कभी कॉमेडी के हीहीआते हीरो,कभी ट्रेजडी किंग बन जा रहे थे,

दाँत निपोरी से पार्लियामेंट तक के स्वप्न--सफ़र मे डूब कर,

अपनी अदाकारी,कलाकारी,वफ़ादारी का तूनतूना बजा रहे थे.

 

अगर ऐसे ही बढ़ता रहा,सिलसिला इनके चुनाव लड़ने का,

मसिडीज़ छोड़ कर,बिना ब्रेक की साइकिल पर चढ़ने कर,

तो देखना आने वाला अगला चुनाव और भी मजेदार होगा,

जब दमदार नेताओं और फिल्मी सितारो के बीच मार होगा,

 

 

सोनिया के साथ ऐश्वर्या राय चुनावी पारी खेलेंगी,

विपाशा बशु को,सीधी सादी ममता बनर्जी जी झेलेंगी,

मेनका के सामने उर्वशी ढोलकिया रंग भरेंगी,

अंबिका सोनी को मल्लिका शेरावत दंग करेगी,

 

ऋतिक के सामने वीरप्पा मोइली आएँगे,

नरेंद्र मोदी से तुषार कपूर टकराएँगे,

लालू के रास्ते मे नाना पाटेकर अड़ेगें,

संजय दत्त डाइरेक्ट प्रधानमंत्री जी से लड़ेंगें.

 

अर्जुन सिंह के क्षेत्र से,ग़ज़नी स्टार खड़े मिलेंगे,

अपने रामपाल भइया भी,हाथी पर चढ़े मिलेंगे,

विनय पाठक,लालजी टंडन के वोट पर चोट मारेंगे,

विलास राव देशमुख, देखना, अपने ही बेटवा से हारेंगे.

 

 

इनके भी,अपने पार्टीओं की बड़ी बड़ी मीटिंग होगी,

देश चलाने के लिए,आपस मे दन,दना,दन सेटिंग होगी,

जान अब्राहम सामाजिक कल्याण,नशा उन्मूलन पर ज़ोर डालेंगे,

 इमरान हाशमी युवाशक्ति जन मोर्चा की, बागडोर संभालेंगे.

 

शाहरुख ख़ान राष्ट्रीय खेल और जागरूकता बढ़ाएँगे,

 परेश रावल जातीय समीकरण गड़बड़ाएंगे,

सन्नी देयोल तो वही बॉर्डर पर ही पड़े रहेंगे,

सपरिवार दुश्मनो के आगे मिसाइल लेकर खड़े रहेंगे.

 

सोचने मे ही हँसी आती है,ये क्रांति कैसी रंग लाएगी,

क्या मल्लिका सेरावत खद्दरधारी वस्त्र पहन पाएँगी,

जब कभी शांति यात्रा मे जाने के विचार दिल में ज़गेंगे,

तब सलमान ख़ान कुर्ते और टोपी मे कैसे लगेंगे.

 

बड़े ही सुंदर सुंदर लोग दिखेंगे,संसद के परिवेश मे,

गीत,संगीत ताक धीना-धिन,जम कर होगा खद्दरधारी वेश मे,

शूटिंग से जब फुरसत होगी,तो देश की बातें सोचेंगे,

क्या कर सकते है,वो सोचो अपने प्यारे देश मे.

 

इसके बाद कभी जब हम अपनी समस्या लेकर जाएँगे,

तब ये बैठ कर हमे मूवी का डायलॉग सुनाएँगे,

अपने देश मे लगी आग से जब हमारे परिजन मरेंगे,

और  ये संसदीय उपवन मे  डांस की प्रैक्टिस करेंगे.