Saturday, February 19, 2011

फिर आया बसंत का मौसम-----(विनोद कुमार पांडेय)

मित्रों, फ़रवरी का पूरा महीना बहुत व्यस्तता के दौर से गुज़रा|इसी वजह से फ़रवरी माह का पहला पोस्ट आज प्रस्तुत कर रहा हूँ|आज प्रस्तुत है बसंत के स्वागत में एक गीत जिसे कवि-सम्मेलनों और गोष्ठियों में काफ़ी पसंद किया गया पर आप लोगों के समक्ष प्रस्तुत करने का मौका आज मिल पाया है|उम्मीद करता हूँ,लंबी अंतराल की अनुपस्थिति के लिए क्षमा करेंगें और गीत का आनंद लेंगे...एक बार फिर से आप सब के आशीर्वाद का आपेक्षी हूँ|धन्यवाद


फिर आया बसंत का मौसम, फिर छाया बसंत का मौसम
पतझड़ में नगमें बहार के, फिर गाया बसंत का मौसम


चला बाँटने प्यार की खुश्बू अपने साथ बहार लिए
पुरवा हवा के मंद गति में, मृदुल कोई झनकार लिए
फूलों से,कलियों से यारी,काँटों को भी स्नेह दिया
तन में, मन में और ह्रदय में प्यार भरा उपहार लिए


जीवन प्रीत बिना सूनी है,समझाया बसंत का मौसम
पतझड़ में नगमें बहार के, फिर गाया बसंत का मौसम


पेड़ों से विछोह पत्तों का,नये कोपलों को फिर लाना
मिलन और बिरहा की बातें,बातों-बातों में बतलाना
जवाँ उम्र पर जादू करना इस मौसम की चाल पुरानी
कलियों को इठलाने का गुर,भौरों को अंदाज सीखाना


पहले जैसी कोई कहानी फिर लाया बसंत का मौसम
पतझड़ में नगमें बहार के फिर गाया बसंत का मौसम


इस बसंत में यहीं दुआ है लोग सभी खुशहाल मिलें,
कोई नही भूखा सोये, कम से कम रोटी दाल मिलें
हरियाली चहूँ ओर मिलें, हर प्राणी प्रगतिशील रहे
अमन-चैन जग में फैले,सब अपराधी बेहाल मिलें


गीतों की महफ़िल देखी तो मुस्काया बसंत का मौसम
पतझड़ में नगमें बहार के, फिर गाया बसंत का मौसम

20 comments:

निर्मला कपिला said...

इस बसंत में यहीं दुआ है लोग सभी खुशहाल मिलें,
कोई नही भूखा सोये, कम से कम रोटी दाल मिलें
हरियाली चहूँ ओर मिलें, हर प्राणी प्रगतिशील रहे
अमन-चैन जग में फैले,सब अपराधी बेहाल मिलें
बहुत सुन्दर सन्देश दिया है इस रचना के माध्यम से\ लगता है खूब लिखा आपने फरवरी मे तभी तो सक्रिय नही रह पाये। शुभकामनायें।

Patali-The-Village said...

वह! पढ़ के मन बसंती हो गया| धन्यवाद|

kshama said...

इस बसंत में यहीं दुआ है लोग सभी खुशहाल मिलें,
कोई नही भूखा सोये, कम से कम रोटी दाल मिलें
हरियाली चहूँ ओर मिलें, हर प्राणी प्रगतिशील रहे
अमन-चैन जग में फैले,सब अपराधी बेहाल मिलें
Badee sundar dua hai! Aameen!

Kailash Sharma said...

बहुत सुन्दर वासंती प्रस्तुति...

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

बहुत खूबसूरत गीत ...बासंती बयार बिखेरता हुआ

डॉ. मनोज मिश्र said...

behad khoobsoorat rachna hai,bdhai.

राज भाटिय़ा said...

बसंती रंग मे रंगा आप का यह सुंदर गीत बहुत अच्छा लगा धन्यवाद

डॉ. मोनिका शर्मा said...

सुंदर वासंतिक रचना .....

Anupama Tripathi said...

सुंदर रचना -
एक नवल प्रार्थना लिए हुए -
बधाई .

ZEAL said...

.

पहले जैसी कोई कहानी फिर लाया बसंत का मौसम
पतझड़ में नगमें बहार के फिर गाया बसंत का मौसम....

बसंत के खुशमिजाज़ मौसम से रची बसी बेहतरीन अभिव्यक्ति ।
बधाई ।

.

Er. सत्यम शिवम said...

वसंती रंगों में सराबोर बेहतरीन प्रस्तुति....

*गद्य-सर्जना*:-“तुम्हारे वो गीत याद है मुझे”

रंजना said...

रसमय सुन्दर गीत...वाह...

वाणी गीत said...

इस बसंत में यहीं दुआ है लोग सभी खुशहाल मिलें,
कोई नही भूखा सोये, कम से कम रोटी दाल मिलें
हरियाली चहूँ ओर मिलें, हर प्राणी प्रगतिशील रहे
अमन-चैन जग में फैले,सब अपराधी बेहाल मिलें...

इस दुआ में उठे हाथों में शामिल एक हमारा भी है !

Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार said...

प्रियवर विनोद कुमार जी
सादर सस्नेहाभिवादन !

सचमुच पसंद किये जाने लायक गीत ही है -
इस बसंत में यहीं दुआ है लोग सभी खुशहाल मिलें,
कोई नही भूखा सोये, कम से कम रोटी दाल मिलें

आपकी दुआएं कबूल हों … आमीन !

♥ प्यारो न्यारो ये बसंत है !♥
बसंत ॠतु की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !
- राजेन्द्र स्वर्णकार

अरुण चन्द्र रॉय said...

बहुत खूबसूरत गीत .... पढ़ के मन बसंती हो गया !

देवेन्द्र पाण्डेय said...

गीतों की महफ़िल देखी तो मुस्काया बसंत का मौसम
पतझड़ में नगमें बहार के, फिर गाया बसंत का मौसम
...बहुत खूब।

देवेन्द्र पाण्डेय said...

गीतों की महफ़िल देखी तो मुस्काया बसंत का मौसम
पतझड़ में नगमें बहार के, फिर गाया बसंत का मौसम
...बहुत खूब।

डॉ. मनोज मिश्र said...

बेहतरीन प्रस्तुति.

Satish Saxena said...

बढ़िया रचना के लिए शुभकामनायें विनोद !

Smart Indian said...

@इस बसंत में यहीं दुआ है लोग सभी खुशहाल मिलें,
कोई नही भूखा सोये, कम से कम रोटी दाल मिलें
हरियाली चहूँ ओर मिलें, हर प्राणी प्रगतिशील रहे
अमन-चैन जग में फैले,सब अपराधी बेहाल मिलें


सुन्दर कामना।