Saturday, August 25, 2012

प्रेम के गीत की गूँज है हर तरफ ---(विनोद कुमार पांडेय)

बहुत दिनों के बाद प्रेम जैसे विषय पर एक ग़ज़ल लिखने की कोशिश की| जो कुछ दिनों पहले आदरणीय पंकज जी द्वारा आयोजित तरही मुशायरे में सम्मिलित की गई थी|आज मन हो रहा था कि आप सब को भी यह ग़ज़ल पढ़वाते है| उम्मीद है आप सब को भी अच्छी लगेगी| 

इक लहर सी हृदय में उठी है प्रिये
क्या कहूँ किस कदर बेखुदी है प्रिये

नैन बेचैन है,हसरतें हैं जवाँ
हर दबी भावना अब जगी है प्रिये

प्रेम के गीत की गूँज है हर तरफ
प्रीत की अल्पना भी सजी है प्रिये

साज़ श्रृंगार फीके तेरे सामने
दिल चुराती तेरी सादगी है प्रिये

मेरे दिल का पता दिल तेरा हो गया
ये ठगी है कि ये दिल्लगी है प्रिये

उस हवा से है चंदन की आती महक
जो हवा तुमको छूकर चली है प्रिये

उस कहानी की तुम ख़ास किरदार हो
संग तुम्हारे जो मैने बुनी है प्रिये

छन्द,मुक्तक,ग़ज़ल,गीत सब हो तुम्हीं
तुम नही तो कहाँ,शायरी है प्रिये