Thursday, March 12, 2015

मैं रंग मुहब्बत का,थोड़ा सा लगा दूं तो ----(विनोद कुमार पाण्डेय )

पंकज सुबीर जी द्वारा आयोजित होली की तरही मुशायरा में मेरी ग़ज़ल । पसंद आये तो अपनी प्रतिक्रिया से अवगत कराइयेगा | धन्यवाद | 

मुस्कान तेरे लव पे अपनी  मैं सजा दूं तो 
सब दर्द तेरे पी  लूं  अश्कों को सुखा दूं तो  

इकरार किया तुमने हंगामा हुआ बरपा 
अब अपने भी मैं दिल का गर हाल बता दूं तो 

पिचकारी लिए रंगो की निकलें हैं सब देवर 
भाभी  का कहाँ  है घर मै राह दिखा दूं तो

ससुराल गया नन्दू बीवी को लगाने रंग  
गवना है  अभी बाकी मै शोर मचा दूं तो  

चुपके से रघु धनिया के हाते में कूदा  है 
धनिया के पिताजी को ऐसे में जगा दूं तो  

भुक्खड़ की तरह  खाते पंडित जी  हैं गुझिया को 
गुझिया में अगर उनकी कुछ भांग मिला दूं तो 

सम्बन्ध नही बनते बुनियाद पे रुपयों की  
बस्ती में  गरीबों की गर प्यार दिखा दूं तो 

है रंग बहुत सारे तुम डूबी हो जिनमें पर 
मैं रंग मुहब्बत का,थोड़ा सा लगा दूं तो 

माना कि ग़ज़लकारों के बीच अनाड़ी हूँ 
शे 'रों  से मगर अपने  रोते को हँसा दूं तो