Saturday, October 29, 2016

किस्मत हो तो अमर सिंह के जैसी हो भगवान----(विनोद कुमार पांडेय )

किस्मत हो तो अमर सिंह के जैसी हो भगवान,
चुप रह कर भी बड़े-बड़ों के काट रहे हैं कान |

पहले बाहर गए सपा से फिर अंदर आये
जाने कैसी लालच देकर सबको भरमाये 
जिसने पहले धक्का देकर फेंका था बाहर
आज वहीं रटता रहता है हरदम अमर अमर
सटे मुलायम से जबसे ये ,भागा आजम खान । चुप रह कर भी........

इनके कारण दुश्मन हो गए चच्चा और भतीजा
बैठक कई हुई लेकिन कुछ निकला नहीं नतीजा
भाई-भाई दुश्मन हो गए मजा ले रहें रोग
सब चिंता में हैं लेकिन ये रहें खूब सुख भोग
जयाप्रदा भी इनके खातिर सहती हैं अपमान । चुप रह कर भी........

इनके किस्से बहुत सुने हैं है इतिहास पुराना
हंगामा है मचा, जहाँ है इनका आना जाना
घर में घुसते ही ये चालू खुराफात करते हैं
बच्चन जी हो या अम्बानी इनसे सब डरते हैं
कैसे हुए मुलायम के प्रिय,पब्लिक है हैरान | चुप रह कर भी........

हैं अखिलेश बहुत गुस्सा पर जब हथियार चलाएंगे
इनके हुनर के आगे सारे वार ध्वस्त हो जायेंगे
अभी और लड़वाएंगे शायद ये कसम उठायें हैं
हमको तो लगता है कोई बदला लेने आये हैं
सपा डुबाकर ही आएगी जान में इनके जान । चुप रह कर भी........

किस्मत हो तो अमर सिंह के जैसी हो भगवान,
चुप रह कर भी बड़े-बड़ों के काट रहे हैं कान |

(हास्य कवि विनोद पांडेय )

Thursday, October 20, 2016

बाबू जी सेवानिवृत्त हो गये हैं----(विनोद कुमार पांडेय )

बाबू जी सेवानिवृत्त हो गये हैं 
 
 
हाथों में सब्जी का थैला,
अंतर्मन में सवालों का झमेला,
उलझते, रीझते,खीझते,
और कभी मुस्‍काते ,
गोलमटोल आँखों में,
एक उम्मीद लिए,
कभी इस कभी उस दुकान जाते,
इधर-उधर,भागते,मोल भाव करते,
बहू -बेटे की कमाई के चार पैसे,
बचाने की जद्दोजहद में कितनी तल्लीनता से लिप्त हो गये हैं,
और बेटा-बहू कहते हैं कि बाबू जी सेवानिवृत्त हो गये हैं.

 कड़कड़ाती ठंड में,
भोर तक काँप उठती है,
ओस की बूंदें,
बर्फ -सी लगती हैं,
नींद खुद उनींदी सी होती है,
ख्वाब एक छोटे अंतराल के लिए,
ठहर जाता है,
उस वक्त बाबू जी दूध और अख़बार,
की साज संभाल में लगे होते हैं,
घने कुहरे और ठंडी हवाओं के बीच,
सब कर्तव्य पिता के, सदैव बखूबी निभाते रहे,
अनगिनत खुशियों से हर पल जिनका सँवारते रहे,
आज वही भावनाओं से रिक्त हो गये हैं,
और बेटा-बहू कहते हैं कि बाबू जी सेवानिवृत्त हो गये हैं.

चाय के हल्‍के हल्‍के घूँट,
और एक सुखद अध्याय का आरंभ,
रोज पोते को स्कूल छोड़ना,
एक हसीन पल,
तेज कदमों के साथ,
बहकते हुए चलना,मचलना,
वृद्धावस्था का चंचल,
बचपन में बदलना,
दादा जी- दादा जी जैसे,
मोहक शब्द
तोतली आवाज़ और मुस्कान
के साथ कानों में घुलना,
स्‍नेह का सच्चा दर्शन लगते हैं,
अन्यथा प्रेम,श्रद्धा,आदर अब सब विलुप्त हो गये हैं,
और बेटा-बहू कहते हैं कि बाबू जी सेवानिवृत्त हो गये हैं.

वर्तमान की वीरनियों में,
अतीत की झनकार तो होती है,
पर अब उतनी नहीं गुदगुदाती,
बस याद भर कौंध जाती है,
जीवन के इस मोड़ पर आ गये,
जहाँ आवश्यकता निरकर्थता की ओर अग्रसर है,
उम्र समय के असर से बेखबर है
सब कुछ स्थिर है
परंतु आज भी,
यह मन जीवन के अंतिम पल तक यहीं,
अपनों के बीच में ही रहने ज़िद पाले बैठा है
यद्यपि समस्त इच्छाओं से मन तृप्त हो गये हैं,
और सब कहते हैं कि बाबू जी सेवानिवृत्त हो गये हैं .

(विनोद कुमार पांडेय )

#विश्व हिंदी सचिवालय द्वारा आयोजित अंतरराष्ट्रिय हिंदी कविता प्रतियोगिता-2013  में भारत भौगोलिक जोन के अन्तर्गत प्रथम स्थान प्राप्त/पुरस्कृत कविता .

Wednesday, October 5, 2016

स्वच्छता अभियान----विनोद कुमार पांडेय

दीनापुर गाँव का जूनियर हाईस्कूल आज रोज से कुछ अधिक चमक रहा है । स्वच्छ-भारत अभियान का असर यहाँ भी दिख रहा है । स्कूल के मास्टर और बालक-बालिकाएँ भी साफ-सुथरे कपड़ों में नजर आ रहे हैं । शम्भुनाथ चपरासी सफाई के साथ-साथ प्रधानाचार्य को गाली देने में व्यस्त है कि यदि सफाई रोज होती तो आज इतनी मारामारी नहीं करनी होती  । उधर प्रधानाचार्य तिवारी जी के चेहरे पर खिंची चिंता की लकीरें  देखकर साफ़ अंदाजा लगाया जा सकता है कि आज स्कूल में कोई बड़ा अधिकारी आने वाला है।

दोपहर के बारह बजे थे । जिला विद्यालय निरीक्षक जी कार से उतरे और धड़धड़ाते हुए प्रधानाचार्य कक्ष में प्रवेश किये । प्रधानाचार्य जी,शम्भुनाथ को सफाई के लिए निर्देश पर निर्देश दिए जा रहे हैं । शायद यह जताने की कोशिश कर रहे हैं कि स्कूल में सफाई अभियान को लेकर वो कितने सक्रिय हो चुके हैं ।
बड़े साहब को देखते ही तिवारी जी सम्बोधन के लिए उठे पर जैसे ही बोलना शुरू किये कि पान की पीक मुँह से बाहर निकलकर कुर्ते को छूती हुई जमीन पर आ गिरी ।
बड़े साहब मुस्कुराते हुए बोले,तिवारी जी सफाई अभियान में आपका योगदान तो सराहनीय है पर एक काम और कीजिये, एक पीकदान अपने साथ में रखिये ताकि कमरे के कोने की सफाई पर अधिक मेहनत न करनी पड़े और आपका कुर्ता भी हमेशा चमकता रहे ।
इस बार शम्भुनाथ भी हँस पड़े । तिवारी जी खिसियाते हुए इधर-उधर देखने लगे ।

Tuesday, October 4, 2016

जैसे वहाँ सब परमाणु बम जेब में रखकर टहलते हैं --(विनोद कुमार पांडेय )

पाकिस्तान पगला गया है । वहाँ के नेता,मंत्री,मिलेट्री सब पगला गए हैं ।नवाज शरीफ, ख्वाजा आसिफ,राहील शरीफ, इमरान खान जैसे मुँहबोले दिग्गज भी पगला गए हैं । पहले थोड़ा थोड़ा पगलाए थे पर सर्जिकल स्ट्राइक के बाद से सब ज्यादा पगला गए हैं । मैं यह बात मजाक में नहीं कह रहा हूँ ,पूरी दुनिया के पास उनके पागलपन का सुबूत है ।मैं भी थोड़ा प्रकाश डालता हूँ ,दरअसल इसलिए मैं ऐसा कह रहा हूँ कि बीते कुछ दिनों से वहाँ सब परमाणु बम की बात अधिक करने लगे हैं ,वहाँ के रक्षामंत्री ख्वाजा आसिफ भारत पर परमाणु से हमला करने की बात करता है,इनडायरेक्टली थोड़ा थोड़ा बात सब करते हैं । सबको क्या लगता है ? भारत उनकी गीदड़ भभकी से डर जायेगा ? अरे ये तो दूर की बात है असली बात ये है कि क्या वो परमाणु बम से हमला कर सकते हैं ? कभी नहीं ।उन बेचारों को ये नहीं पता कि परमाणु बम दिवाली और ईद पर बजाये जाने वाला पटाखा नही हैं कि जब मूड करेगा छोड़ देंगे ।

वैसे ईमानदारी की बात करूँ तो आजकल ये पाकिस्तानी लोग पटाखें भी नहीं छोड़ पाते हैं ,तब जब भारत और पाकिस्तान के बीच क्रिकेट मैच होता है । आजकल ये जिम्मेदारी भी भारतीय ही निभा रहें है ।फिर भी ये परमाणु बम छोड़ेंगे । इन्हें हकीकत में मालूम ही नहीं कि परमाणु बम होता क्या है ? उसकी मारक क्षमता क्या हैं ? उसका प्रभाव कहाँ-कहाँ पड़ सकता है ? बस इनसे बातें करा लो। अभी कुछ दिन पहले तहरीक-ए-इन्साफ पार्टी के प्रमुख ,क्रिकेटर से नेता बने,साठ के बाद घोड़ी चढ़ने वाले इमरान खान भी भारत से शांति की अपील कर रहें हैं पर वो भी  बातों-बातों में कह रहे हैं कि दो परमाणु शक्तियों वाले देश को  युद्ध से बचना चाहिए । अब शायद इमरान खान को यह नहीं पता कि युद्ध तो पाकिस्तान ही चाहता है वर्ना आतंकियों पर कार्यवाही करने के बजाय कश्मीर मुद्दा अलापने की हिम्मत नही करता । भारत को ही नहीं ,यह पाकिस्तान अन्य देशों को भी यह धमकी देता रहता है ,कुछ महीने पहले पाकिस्तानी सेनाध्यक्ष राहिल शरीफ ने ईरान का भी नामोनिशान मिटाने की धमकी दी थी ।आजकल वहीं ईरान का जब मन करता है पाकिस्तान में मोर्टार दाग देता है और ये देखते रहते हैं ।

सुरक्षा के जानकार भी बताते हैं की पाकिस्तान को भी पता है कि परमाणु हमले का परिणाम उसके लिए क्या हो सकता है फिर भी वह इस बात को नजरअंदाज करके पडोसी देशों को धमकाता रहता है ।पाकिस्तान में परमाणु हथियारों के जनक अब्दुल कादिर खान को शायद पता था कि पकिस्तान बाद में परमाणु बम का मजाक बना देगा शायद इसलिए उसने परमाणु तकनीक उत्तर कोरिया सहित कई अन्य देशों को भी चुपके से बेच दिया था ।ऐसा उन पर आरोप लगा है ।कुछ भी हो यदि ऐसे ही पाकिस्तान परमाणु परमाणु बोलता रहा उसका मजाक बनता रहेगा ।परमाणु बम तो दूर की बात है अभी तो उसकी हालत जमीनी लड़ाई लड़ने लायक नहीं है, वो तो शुक्र है आतंकवादियों का जो पाकिस्तानी सेना का आधा काम कर देंते हैं ।हाँ जिस तरह से आतंकवादियों का हस्तक्षेप वहाँ बढ़ता जा रहा है उसे देखकर इस बात का डर होना लाजमी है कि कहीं परमाणु बम आतंकवादियों के हाथ न लग जाये । यदि ऐसा हुए तो महाप्रलय हो सकती है,किसी भी देश के लिए और स्वयं पाकिस्तान के लिए भी ।अभी की स्थिति देखकर तो ऐसा लगता है कि कहीं परमाणु बम पाकिस्तान में ही न फूट जाये क्योंकि आजकल तो वहाँ भी बच्चे-बच्चे की जुबान पर परमाणु बम है शायद इसलिए भी कि वहाँ की सेना अपने हथियार का प्रयोग तो कर ही नहीं पा रही है ,मुंहतोड़ जवाब मिल रहा है,इसलिए परमाणु की रट लगायी जा रही है ।

पाकिस्तान खूब रट लगाए पर अब यह भी मान ले,मान ही नहीं बल्कि लिख ले कि भारत अब चुप नहीं रहेगा और तब तो चुप रहने का सवाल ही नहीं उठता जब पाकिस्तान परमाणु हथियार का प्रयोग करने जैसा कोई नापाक कदम उठाएगा । भूल से अगर वो कुछ भी ऐसा करता है तो उसके बाद पकिस्तान का क्या अंजाम होगा  यह वो लोग कभी सोच भी नहीं सकते जो आज परमाणु बम चिल्ला रहे हैं ।