Friday, December 23, 2016

तैमूर, नाम में क्या रखा है

शेक्सपीयर जी बहुत सही कह के गए थे कि नाम में क्या रखा है ।भले वो अपने नाम से खीझ कर ये बात बोले हों पर वास्तव में यही बात सही है कि नाम खाली गप्प है इसमें कुछ नहीं रखा है ।हमारा तो मानना है कि नाम रखना ही नही चाहिए । पर ये बात समझे कौन ।आजकल विद्वानों की कोई सुनता ही नहीं । बस एक पत्नियाँ हैं जो इसका पालन करती हैं और एजी,ओजी कह कर बड़े शानदार ढंग काम निकाल लेती हैं ।कुछ समझदार पत्नियाँ तो एजी,ओजी का भी प्रयोग नहीं करती है,उनका बस एक इशारा ही काफी है,पतिदेव मुश्किल से मुश्किल काम पलक झपकते ही कर डालते हैं ।इसलिए नाम नहीं काम महत्वपूर्ण है ,अब हम अपने नाम से ही शुरुआत करते हैं तो हमको याद नहीं पर लोग बताते हैं कि जब हम पैदा हुए तो हमारे दादा जी विनोद खन्ना के किसी फिल्म का मैटिनी शो निपटा कर आये थे । पिक्चर बहुत शानदार थी और विनोद खन्ना का एक्टिंग और धांसू था । बस फिर क्या हमारा नामकरण हो गया । लेकिन साहब हमारे अंदर आजतक विनोद खन्ना का कोई गुण नहीं आ पाया ,लंबाई-चौड़ाई हर तरह से फेल रहा । फिर भी लोग कहते हैं नाम गलत है ,नाम सही है तो दिमाग ख़राब हो जाता है ।
नाम की बात करें तो हमारे मोहल्ले में आधे लोगों का नाम भगवान जी के नाम से शुरू है लेकिन उनकी दशा बस भगवान भरोसे है ।एक रामलाल थे,जो पिता जी सर फोड़ कर बचपन में ही वनवास पर निकल गए,आज चौदह साल से ज्यादा हो गया,उनके दर्शन नहीं हुए ।रोशन अली स्कूटर चुराते हुए धरे गए ,आजकल जेल में रह कर परिवार का नाम रोशन कर रहें हैं ।कन्हैया कुमार का बचपन कंचा खेलने में बीत गया ,जवानी जुआ खेलने में ,इधर बुढ़ाई में कन्हैया बनने चले थे तो बेचारे लड़कों को जमानत करवाना पड़ा । उधर जिसका नाम फ़कीरचंद था उसकी बाइस ट्रकें चल रही है और वो धनवानों के कान काट रहें है ।इसलिए इस बात पर बहुत विवाद नहीं होनी चाहिए ।नाम तैमूर हो या लंगूर ,कोई फर्क नहीं पड़ता ।वैसे भी यह मामला सैफ और करीना का व्यक्तिगत मामला है ,उनका लड़का है ,कोई सार्वजानिक संपत्ति नहीं है कि उसके नाम लिए अध्यादेश पारित होगा । पंगा करने वाले भला समझते क्यों नहीं कि तैमूर उनके माँ-बाप का सपना है । उसके लिए सैफ और करीना को कितना पापड़ बेलना पड़ा,जग जाहिर है ।उसके पापा ने पहली पत्नी को तलाक दिया ,मम्मी ने परिवार का विरोध कर,धर्म परिवर्तन कर ,अपने से बीस साल उम्र के आदमी से शादी रचाई ।तब कहीं तैमूर दुनिया में आया ।माँ-बाप की यह कुर्बानी लोग भूल जाते हैं ,और आज ख़ुशी मनाने के बजाय विरोध कर रहें हैं ।
बवाल खड़े करने लोगों की मनोभावना हमारे दिमाग में भी आ रही है ।पर ऐसा नहीं होता । वो सोच रहे हैं कि लुटेरे तैमूर के नाम पर नाम रखने से ये लड़का भी वैसे ही न हो जाये । अरे भाई ,ऐसा थोड़े ही होता है ,वो तो मैंने पहले ही बता रखा है ।इस लड़के का पारिवारिक बैकग्राउंड ऐसा है कि यह बस एक ठीक-ठाक हीरो बन जाये ,इतना ही बहुत है । पिता जी तो उसमें भी कुछ खास नहीं कर पाए ,मम्मी का काम-धाम कुछ ठीक ठाक रहा ।यह पटौदी खानदान कर वारिस बनेगा ,कोई लंगड़ा तैमूर नहीं,इसलिए देशवासियों को चिंता करने की जरुरत नहीं है।सब लोग देखते रहना चार-पाँच साल में तैमूर नाचना-गाना शुरू कर देगा ,आगे का भविष्य अल्लाह निर्धारित करेंगे और दुनिया देखेगी ।फिल्म इंडस्ट्री का तैमूर कोई क्रूर शाषक-वासक नहीं बनेगा बल्कि हीरो बनकर शाहिद कपूर की लड़की के साथ पिक्चर बनाएगा ।इससे ज्यादा यह कुछ कर नहीं सकता ,इसलिए नाम का टेंशन लेने वाले लोगों से सविनय निवेदन है धैर्य बनाये रखें । यह नाम रखने के लिए मैं सैफ और करीना को सल्यूट करता हूँ और निवेदन करूँगा अगला लड़का हो तो उसका नाम औरंगजेब रखें,हम सभी को भविष्य में तैमूर और औरंगजेब को नायिकाओं के साथ पर्दे पर ठुमके लगाते देखकर बहुत अच्छा लगेगा और अगर निगेटिव रोल में आये तो बहुत से लोग इन्हें पिटते हुए देखकर बहुत प्रसन्न होंगे ।सब अपने अपने नजरिये से देखेंगे और आनंद लेंगे इसलिए अभी नाम की चिंता छोड़िये और बच्चे को भविष्य के लिए शुभकामनायें दीजिये ।देखेंगे आगे क्या होता है ।
--विनोद पांडेय

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